पानी पानी हो जाना

 जब से मैंने ग्रेजुएशन कम्प्लीट

किया, मेरे घर में मेरे विवाह की

चर्चा शुरू हो गई l दिन रात सुनते-सुनते मैं बोर हो जाया करती थीl

पर कुछ बोल भी नहीं पाती थी l

स्वयं अपनी शादी को लेकर बात

चीत करना मेरे घर में बत्तमीजी

समझी जाती थी  मेरा विवाह करने का बिल्कुल इरादा नहीं थाl

लेकिन मुझे पता था, कि मेरी

बातों कोई नहीं समझेगाl नियति

मान कर मैं चुप थी l उधर एक

परेशानी और थी  मैं पिताजी के

दोस्त के एक लड़के को बचपन से पसंद करती थी वह भी मुझ से

बहुत प्यार करता था छुप-छुप के

हमलोग मिलते भी थेl जीवनसाथी भी मन ही मन

बना लिए थे ये बात घर में किसी

को पता नहीं था l अचानक से

पिताजी ने उसी लड़के का फोटो

दिखाते हुए शादी का प्रस्ताव

रखा  lमैं तो खुश हो गई l

लड़के के पुरे परिवार वाले रिश्ता

पक्का करने आ पहुंचे l

दोनों परिवार वालों ने कहा----

जाओ! तुम दोनों आपस में बात करके आश्वास्त हो जाओ  मेरे

होने वाले भावी पति इतने भोले

निकले कि उसने कह दिया-----

मिलना क्या? हमलोग मिलते ही

रहते हैं l

ये सुनकर दोनों परिवार आश्चर्य

से दोनों को देखने लगे l

मैंने भी कभी घर में नहीं बताया

था इसलिए मैं तो शर्म से पानी

पानी हो गई

मंजु लता

नोयेडा 


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