अरे सोनम बेटा सुनो ! तो मेरी तबियत अब खराब सी रहने लगी है काम करने में मुझे तकलीफ होती है अब मुझसे ज्यादा काम नहीं हो पाता है।ऐसा करना अब से तुम मेरे बस कपड़े धो दिया करना। बाकी के काम तो में अपने धीरे -धीरे कर लिया करूँगी।सोनम की सास बोलीं।
वैसे तो सोनम की सास सोनम से अपना काम ज्यादा नहीं करती थीं। लेकिन एक उम्र होती है काम की भी।कहते हैं ना जब शरीर साथ देना छोड़ देता है तो दूसरे के असरिया हो जाते हैं। फिर आस अपने बच्चों से ही लगाई जाती है।
अब क्या था.… यह बात सुनते ही सोनम आग बबुला हो गयी और तुनककर बोली मेरे बस का नही है तुम्हारा यह सब काम करना। एक तो सारा दिन मेरे को अपने ही कामों में उलझाकर रखती हो और अब ये कपड़े धोने भी छोड़ दो । मेरे भी घर और बहार के कुछ काम होते हैं।
असल में सोनम की रुचि समाज सेवा और दिखावे वाले काम में ज्यादा थी।जैसा कि आजकल समाज सेवा का शौक होता है पर घर के बुजुर्गों की सेवा करने में जैसे दम निकलता है । सोनम अपनी सास की इन छोटी- छोटी जिम्मेदारियों के कारण बहुत परेशान होती थी।
धीरे -धीरे समय ऐसे ही बीतता रहा। एक दिन सोनम की सास कपड़े धोते -धोते फिसल गई। उस वक्त सोनम घर पर नहीं थी वह तो समाज सेवा में लगी थी। रविवार की छुट्टी होने के कारण सोनम की बेटी कोमल घर पर ही थी। अब क्या था सोनम की सास से उठा नहीं जा रहा था तो सोनम की बेटी कोमल ने अपने पापा को फोन कर दिया कि अम्मा गिर गयी हैं पापा। कोमल के पापा भी जल्दी से घर पर आ गये और उन्हें उठाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कोमल और कोमल के पापा से माँ जी उठ नहीं पा रही थीं । एक तो वह शरीर से भारी थीं और चोट लगने के कारण और भी वजन ज्यादा महसूस हो रहा था।फिर पड़ोसियों को बुलाकर माँ जी को अस्पताल ले गए।
कोमल ने अपनी माँ सोनम के पास फोन किया कि माँ अम्मा फिसल गई है जल्दी आ जाओ माँ। उनसे उठा भी नहीं जा रहा है।पापा अस्पताल लेकर गए हैं। अब सोनम यह सुनकर हक्का-बक्का रह गयी। और कोमल से पता पूछकर अस्पताल ही पहुँच गयी। पता चला कि माँ जी की कूल्हे ही हड्डी टूट गयी है ।
खैर जो होना था हो चुका लेकिन सभी लोगों ने सोनम को कहा कि ऐसी समाज सेवा से क्या फायदा जो अपने घर के बुजुर्गों की सेवा न कर सके।माना समाज सेवा करना बुरी बात नहीं है बेटा।लेकिन समाज सेवा तब की जाती है जब अपने घर की जिम्मेदारियों से मुक्त हों। आज सोनम अपनी इस गलती पर *पानी पानी हो रही* थी और सोनम मन ही मन पछता रही थी।
©®मानसी मित्तल
शिकारपुर जिला बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश
0 टिप्पणियाँ