मेरी एक सहेली थी उसका नाम कंचन था मैं अक्सर उसके घर जाया करती थी मैं देखती की उसकी भाभी के चेहरे पर एक सौम्य मुस्कान लिए बस अपने काम में लगी रहती। अगर कभी फुर्सत मिली तो अपने कमरे में जाकर अकेली बैठी रहती क्योंकि उन्हें घर का कोई सदस्य पसंद नहीं करता था क्योंकि उनका रंग साँवला था और होमसाइंस में स्नातक थी जबकी कंचन के घर में सब डॉक्टर या इंजीनियर। भाभी को कंचन के पापा ने गुणों और संस्कार देखकर पसंद किया था। एक दिन की बात है उनके घर कुछ मेहमान आए उनके साथ आए एक छोटे बच्चे से कांच की गिलास गिरकर टूट गई उसके बारीक टुकडे पूरे फर्श पर फेैल गए सब लोग शोर करने लगे की देखो बच्चों चलना नहीं। सब सोचने लगे कि बारीक टुकड़े उठाएँ कैसे, इतने में भाभी रसोई से हाथ में आटे का गोला लेकर आई और बड़ी सफाई से बिना किसी नुकसान के हर एक कांच के टुकड़े उठा लिए सब देखते रह गए थे ये था होमसाइंस का स्मार्ट तरीका उस दिन भाभी की जमकर तारीफ हो रही थी और कंचन के पापा अपनी पसंद पर फुले नहीं समा रहे थे।
मधुलता सिंह
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