बड़े भैया की बेटी की बारात आने में 2 घंटे रह गए थे।सब लोग जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे ।अचानक रौशनी बुआ अपने कमरे से तैयार होकर बाहर निकली।जैसे ही उन्होंने छोटी भाभी को तैयार देखा तुरंत बोली, "मुझे तो तुम्हारा जैसा ही दुपट्टा अपने लहंगे पर पहनना था ।ये मेरा दुपट्टा बिल्कुल भी मुझे पसंद नहीं है ।मुझे यह नहीं पहनना देखो तुम्हारा दुपट्टा मेरे लहंगे पर कितना अच्छा मैच कर रहा है।मुझे यह दे दो और तुम मेरा दुपट्टा ले लो ।भाभी बोली ,"अरे दीदी यह कैसे हो सकता है मैंने कितने शौक़ से अपने लिए यह दुपट्टा अपनी बहन से पंजाब से मंगाया है मैं इसे किसी को नहीं दूँगी। इतने में छोटे भैया आ गए। उन्हें देख कर बुआ तुरंत ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और बोली मुझे तो यही दुपट्टा पहनना है वरना मैं शादी में नहीं आऊंगी । बुआ को रोता देख भैया भाभी को कोने में ले जा कर बोले, "प्लीज मेरी बात मान लो दुपट्टा दीदी को दे दो वर्ना यह विवाह में कोई बड़ा गुल खिलाएंगी और कोई बखेड़ा खड़ा करेंगी। तुम तो जानती हो दीदी इसमें माहिर हैं।मैं तुम्हें इसके बदले में बहुत अच्छा दुपट्टा दिला दूंगा। भाभी बेचारी मन मार कर रह गई और चुपचाप अपना दुपट्टा बुआ को दे दिया। आँखों में आँसू लिए भाभी ने अपना लहंगा बदल कर साड़ी पहन ली। बुआ जी मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि वाह!क्या गुल खिलाया है मैने ।
लेखिका: महजबीं
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