ममा चलिए, अवार्ड सेरेमनी का समय हो गया है।' अमन ने मां के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। तब अचानक मौसमी की तंद्रा टूटी।
'क्या ममा, आपको मैंने कितनी बार कहा है कि आप कभी उदास न रहा करें। आज आपकी जिंदगी का इतना अहम दिन है। आज पापा भी हमारे साथ होते तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। आखिर उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश जो पूरी होने जा रही है। अब चलिए जल्दी से तैयार हो जाइए, मैं ड्राइवर को गाड़ी निकालने के लिए बोलता हूं।' अमन ने कहा।
चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ मौसमी ने कहा, 'हां बेटा, तुमने बिल्कुल ठीक कहा। तुम चलो, मैं बस दो मिनट में आती हूं। आज का दिन मौसमी और उसके परिवार के लिए वाकई महत्वपूर्ण था। हो भी क्यों ना, आज उन्हें इतना बड़ा सम्मान जो मिलने वाला है।
पंद्रह दिनों पहले से ही दिल्ली शहर में यह खबर सुर्खियों में थी कि इस वर्ष यानी १५ अगस्त २०१५ को आईपीएस अधिकारी मौसमी गुप्ता को राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा जाएगा। आज वह अहम दिन आ ही गया।
'ममा आर यू रेडी?' अमन ने मां को आवाज लगाई। 'हां बेटा बस आती हूं', मौसमी ने उत्तर दिया। हल्के गुलाबी रंग की तांत की साड़ी व लंबी चोटी में मौसमी बहुत सुंदर लग रही थी। हल्की मरून रंग की लिपस्टिक उसकी सुंदरता में चार-चांद लगा रही थी।
'मैडम बंगले के बाहर मीडियावालों की भीड़ लगी हुई है। वे आग्रह कर रहे हैं कि आप उनको थोड़ा समय दे दें।' सिक्योरिटी इंचार्ज मदन सिंह ने आकर कहा। 'ठीक है आप जाइए। आई विल हैंडल ईट', अमन ने कहा। अमन हजारीबाग में एसपी हैं।
'राष्ट्रपति भवन पहुंचने में तो कम से कम ४५ मिनट लगेंगे ही। दो-तीन मीडियावालों से गाड़ी में ही बात हो जाएगी। ठीक है न ममा।' अमन के कहने पर मौसमी ने हामी भरी। अमन और तीन मीडियाकर्मियों के साथ मौसमी की गाड़ी राष्ट्रपति भवन की ओर चल पड़ी। गाड़ी की रफ्तार के साथ मीडियाकर्मियों के सवालों का सिलसिला भी शुरू हो गया।'मैडम, इतनी बड़ी उपलब्धि के लिए सबसे पहले आपको ढेर सारी बधाइयां।' एक मीडियाकर्मी ने कहा।
'थैंक्यू', मौसमी ने जवाब दिया।'यहां तक का सफर तय करने के लिए आपको काफी संघर्ष करना पड़ा होगा मैडम, इस बारे में बताइए।'
'हां, काफी संघर्ष भरा रहा है यहां तक का सफर। अब तो रिटायर भी होने वाली हूं। टूटे हुए सपनों के पंख को जोड़कर यहां तक पहुंचना शायद मुमकिन न हो पाता, अगर विकास मेरी जिंदगी में न होते।' मौसमी ये कहते हुए भावुक हो गईं।विकास गुप्ता, आपके हसबैंड! मैडम प्लीज हमें बताएं, ऐसा क्या हुआ था आपकी जिंदगी में और विकास जी ने कैसे सहयोग दिया। एक मीडियाकर्मी ने पूछा। मौसमी ने गहरी सांस ली और अतीत के पन्ने पलटने शुरू हो गए।
इस्पात नगरी जमशेदपुर में जन्मी और पली-बढ़ी अत्यंत सुंदर, छरहरी काया, लंबे केश वाली मौसमी मृदुभाषी, सरल स्वभाव व हंसमुख प्रवृत्ति की थी। सुंदरता के साथ ईश्वर ने विद्या भी कूट-कूट भरी थी उसमें। उसके पिता शहर की एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे।
एक बड़ा भाई और माता-पिता बस छोटा सा परिवार था। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई शहर में पूरी करने के बाद एमबीए की पढ़ाई करने वह पूना चली गई। फिर कैंपस सेलेक्शन के तहत मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे वेतन वाली जॉब भी मिल गई। ज्वाइनिंग के दिन पूरा परिवार मौसमी के साथ मुंबई गया था। वहां वर्किंग वूमेन हॉस्टल में मौसमी के रहने की व्यवस्था भी हो गई। उसने नम आंखों से माता-पिता और भाई को विदा किया।
लोकल ट्रेन से सुबह ऑफिस जाना और देर शाम लौटना उसकी दिनचर्या बन गई थी। हॉस्टल की लड़कियां मौसमी के स्वभाव की कायल हो गई थीं। ऑफिस में भी मौसमी को बेहतर काम के लिए सराहना मिल रही थी। सबकुछ सामान्य चल रहा था। जब भगवान किसी को ढेर सारी खुशियां दे दें तो नजर लग ही जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ मौसमी के साथ। ऑफिस में एक दिन सीईओ को रिपोर्ट तैयार करके देनी थी। इसलिए उसे देर रात रुकना पड़ा। उसने हॉस्टल की वार्डन को खबर कर दिया कि उसे आने में रात के बारह बज जाएंगे। जल्दी-जल्दी रिपोर्ट तैयार करती मौसमी को पता ही नहीं चला कि किसी की गंदी नजरें उस पर टिकी हुई हैं। ऑफिस में गार्ड और तीन सहकर्मी थे। उसकी एक सहकर्मी पूजा को उसके पिता रात १० बजे घर ले गए। उस समय मौसमी का काम थोड़ा बाकी रह गया था। इसलिए उसे रुकना पड़ा। पर उसे क्या मालूम था कि उसका रुकना ही उसके लिए खतरा बन जाएगा। दोनों पुरुष सहकर्मियों ने सुरक्षा गार्ड को पैसे देकर उसका मुंह बंद कर मौसमी की आबरू को तार-तार कर दिया। वह चिल्लाती रही, पर गार्ड ने तो कानों में रूई और आंखों पर पैसों की पट्टी चढ़ा ली थी। खुद को बचाने की उसने बहुत कोशिश की। लेकिन विधि के विधान को कोई नहीं बदल सकता। एक औरत के शरीर का ही नहीं, अपितु उसके अस्तित्व का और उसकी भावनाओं का भी बलात्कार हो चुका था। मौसमी सुबह तक बेसुध पड़ी रही। होश आने पर जैसे-तैसे हॉस्टल पहुंची और वार्डन को सबकुछ बताया। वार्डन ने उसके माता-पिता को फोन करके बुलवाया। ऑफिस में भी शिकायत दी। सहकर्मियों ने उल्टे मौसमी पर ही आरोप लगाए कि छोटे शहर की लड़की ने हम अमीर लड़कों को बहकाया और अब हम पर ही आरोप लगा रही है। चरित्रहीन है ये लड़की। हमसे पैसे ऐठने के लिए यह ऐसे पैंतरे कर रही है। परंतु हॉस्टल की वार्डन और बाकी लड़कियों के बयान पर यह साबित हुआ कि मौसमी अच्छी लड़की है। कंपनी ने उन दोनों आरोपियों को नौकरी से निकाल दिया। मौसमी के पिता ने पुलिस में शिकायत देना उचित नहीं समझा, क्योंकि इससे उन्हें अपनी बदनामी का डर था। आखिर वे मध्यमवर्गीय परिवार के छोटे शहर के निवासी थे। इस बीच मौसमी की स्थिति एक लकवाग्रस्त मरीज जैसी हो गई, जो ना कुछ बोलती थी और ना ही हंसती थी।
मुंबई छोड़कर उसका पूरा परिवार अपने शहर लौट आया। आसपास के लोगों और रिश्तेदारों के सवाल पर कई तरह के बहाने बनाना ही अब इस परिवार की मजबूरी बन गई थी। पंछी की तरह उन्मुक्त गगन में उडऩे वाली मौसमी अब एक कमरे में कैद होकर रह गई थी। उसके लिए तो अब जिंदगी जीने के मायने ही खत्म हो गए थे। एक बड़ा भाई ही था, जिसकी बातों पर वह हल्की सी मुस्कुरा देती थी। उधर, माता-पिता जैसे-तैसे उसकी शादी कर देना चाहते थे। लेकिन जो भी रिश्ते मिलते, उन्हें कहीं न कहीं से खबर मिल जाती थी कि मौसमी के साथ क्या हुआ था। मरहम लगाने के बजाय वे नीम की तरह कड़वी बात कहकर चले जाते थे। ऐसे में न जाने कहां से फरिश्ता बनकर आए विकास गुप्ता। वे दिल्ली में एसीपी थे। विकास के माता-पिता और खुद विकास को सारी बातें मालूम थीं। फिर भी वे मौसमी के घर रिश्ता लेकर आए। विकास की मां ने कुछ वर्ष पहले किसी शादी समारोह में मौसमी को देखा था और उसे अपनी बहू बनाने का सपना मन में संजो लिया था। परंतु वह उस समय एमबीए कर रही थी। इसलिए उन्होंने बात आगे नहीं बढ़ाई थी। मौसमी के घरवालों के लिए इससे बड़ी खुशी की बात ही नहीं हो सकती थी। रिश्ता तय हो गया। शुभ मुहूर्त देखकर दोनों की शादी भी हो गई। इस शादी में सभी खुश थे, सिवाय मौसमी के। विदाई के बाद मौसमी दिल्ली चली गई।
आलीशान बंगला, ढेर सारे नौकर कल्पना से परे सजे हुए कमरे। यह सब देखकर मौसमी को कुछ पल के लिए तो खुशी का अहसास हुआ, पर फिर से चेहरे पर उदासी के बादल छा गए। सुहागरात में विकास ने मौसमी के करीब आने की कोशिश की, पर वह सहम गई। विकास उसकी मनोस्थिति समझ गए और वादा किया कि वह कभी उस पर दबाव नहीं बनाएंगे। मौसमी के मन-आंगन में विकास के लिए एक समान और आदर की भावना ने घर कर लिया।
एक दिन चाय पीते हुए विकास ने मौसमी से कहा- 'दिन भर तुम घर पर बोर हो जाती होगी, कोई नौकरी ज्वाइन कर लो। तुहारा मन भी लगेगा और पढ़ाई भी बर्बाद नहीं जाएगी।' इतना सुनते ही मौसमी के हाथ से चाय का कप गिर गया और वह दौड़कर अपने कमरे में चली गई। विकास समझ गए, पर वे हार नहीं मानने वाले थे।
इसके बाद विकास आए दिन अपनी पत्नी को नौकरी के लिए प्रेरित करते रहते थे हालांकि उसका एक ही रिएक्शन रहता था। कुछ दिन बाद विकास का जन्मदिन था। मौसमी ने कुछ उपहार देने की सोची, लेकिन समझ नहीं पा रही थी कि क्या दे। उसने इस बारे में विकास से पूछना उचित समझा। रात को सोने से पहले उसने विकास से पूछा और उन्हें अच्छा मौका मिल गया, अपनी बात मनवाने का। 'दराज में देखो, तुम्हारे लिए कुछ है, जो कि मेरा गिफ्ट हो सकता है, अगर तुम चाहो,' विकास ने मुस्कुराते हुए कहा। दराज खोलते ही मौसमी आश्चर्य में पड़ गई। यूपीएससी की तैयारी के लिए ढेर सारी किताबें रखी हुई थीं। 'ये सब क्या है, मैं क्या करूंगी इनका?' और न जाने कितने सवाल कर डाले मौसमी ने। विकास ने उसके होठों पर अपनी हथेली रखकर उसे चुप करा दिया। इसके साथ ही पूरे कमरे में चुप्पी छा गई। दो दिल अब जोरों से धड़क रहे थे। विकास ने अपने हाथों में मौसमी का हाथ लेकर चूम लिया। फिर उसे अपनी आगोश में ले लिया। शायद इस पल को मौसमी भी भरपूर जी लेना चाहती थी। तभी तो उसने इस बार विकास को नहीं रोका और दोनों प्यार की पवित्र धारा में बहते चले गए।
तड़के चार बजे फोन की घंटी बजी। विकास को एक केस के सिलसिले में नोएडा जाना पड़ा। मौसमी को गहरी और सुकून वाली नींद में देख उसे जगाना उचित नहीं समझा और उसके माथे को चूमकर चले गए। 'मां मुझे एक जरूरी केस के लिए जाना पड़ रहा है। शाम तक लौट आऊंगा।' विकास ने मां से कहा और सरकारी गाड़ी लेकर चल पड़े। मौसमी की आंख खुली। आज का सूरज उसके लिए एक नया सवेरा लेकर आया था। विकास के नोएडा जाने की खबर मां ने मौसमी को बताई। मौसमी का मन आज ना जाने क्यों विकास की एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। नजरें हर पल दरवाजे पर टिकी थीं।
अपने कमरे को सजाते वक्त मौसमी को विकास की डायरी मिली, जिसे पढऩे के बाद उसकी आंखों में आंसू आ गए।
'प्रिय मौसमी, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूं। क्या एक हादसा इंसान को इतना कमजोर बना देता है कि वो फिर कभी आगे बढऩे के बारे में सोच भी न सके? मेरी मौसमी इतनी कमजोर तो नहीं हो सकती। मैं तुम्हें बहुत ऊंचे मुकाम पर देखना चाहता हूं। तुम्हें आईपीएस के रूप में देखकर मुझे बहुत खुशी होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरा सपना पूरा करोगी और एक काबिल अधिकारी बनोगी। आई लव यू माई स्वीट हार्ट ऑल दि बेस्ट...
तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा विकास।'
डोरबोल बजते ही मौसमी तेजी से दौड़ी दरवाजे पर विकास को देखकर वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाई और सीने से लिपट गई। मौसमी का यह रूप देखकर विकास अत्यंत प्रसन्न हुए। रात्रि भोजन के बाद उसने विकास से आईपीएस बनने की इच्छा जताई। विकास ने मौसमी की रेशमी जुल्फों पर हाथ फेरते हुए कहा 'तुम नहीं जानती कि यह कहकर तुमने मुझे कितनी खुशी दी है। आज और अभी से तुम पढ़ाई शुरू करो। मैं हर कदम पर तुहारे साथ हूं।'
'थैंक्यू विकास! मुझ पर भरोसा करने के लिए, मेरे अंदर आत्मविश्वास जगाने के लिए, मेरे टूटे हुए सपनों के पंख को जोड़कर मुझे नई उड़ान देने के लिए, मेरी बेरंग जिंदगी को रंग भरकर गुलजार करने के लिए और सबसे महत्वपूर्ण मेरी जिंदगी में आने के लिए।' मौसमी ने गंभीर और भावुक स्वर में कहा।
'बस-बस माई स्वीट हार्ट, अब ज्यादा नहीं, चलिए पढ़ाई शुरू करते हैं। चार महीने बाद यूपीएससी का एग्जाम भी है।' विकास ने कहा। धीरे-धीरे समय बीतता गया। मौसमी ने एग्जाम के लिए दिन-रात एक कर पढ़ाई की। रिजल्ट आया तो वह पूरे देश में अव्वल रही। होती भी क्यों न, आखिर उसके पति जो साथ थे। ट्रेनिंग के बाद आईपीएस ऑफिसर मौसमी गुप्ता यूनीफार्म में विकास के सामने खड़ी थी। समय की अनवरत धारा बहती जा रही थी। आईपीएस मौसमी ने कम समय में ही काफी मुश्किल केसों का खुलासा कर शहर में रूतबा बना लिया। खासकर महिलाओं से अत्याचार करने वाले तो अब कोसों दूर रहने लगे थे। शहर में महिलाएं काफी हद तक सुरक्षित महसूस करने लगी थीं। इस बीच मौसमी और विकास के खुशियों के आंगन में एक नन्हे मेहमान ने दस्तक दी। अमन बिल्कुल विकास पर गया था। अमन की परवरिश के साथ मौसमी और विकास अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ते जा रहे थे। तभी मौसमी की खुशियों पर फिर एक हादसे ने विराम लगा दिया। अपराधियों के साथ मुठभेड़ में विकास शहीद हो गए। उस समय मात्र सात साल का ही था अमन। उसके सिर से पिता का साया उठ गया, परंतु मौसमी ने हिम्मत नहीं हारी। अमन की देखभाल, उसकी पढ़ाई के साथ अपने जॉब को भी उसने बखूबी निभाया। विकास की कही बातें और उसके विश्वास ने उसे हमेशा आगे बढ़ते रहने को प्रेरित किया। कहते हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, पर मौसमी के लिए यह कथन विपरीत सिद्ध हुआ।
'आज विकास को गुजरे अरसा हो गया, पर आज भी मेरी परछाई बनकर वो साथ हैं। मैं पल-पल उनको महसूस करती हूं। थैंक्यू विकास! आज यह दिन हमारी जिंदगी में न आता, अगर तुम न होते... 'अतीत के पन्नों को समेटती हुई मौसमी ने मन ही मन विकास को धन्यवाद दिया।
'ममा राष्ट्रपति भवन आ गया। 'अमन के यह कहने पर मौसमी ने गहरी सांस ली और नम हो चुकीं आंखों को रुमाल से पोंछकर पत्रकारों से कहा- 'थैंक्यू एवरीवन।'
राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार ग्रहण कर मौसमी ने मन ही मन इसे विकास को समर्पित कर दिया। अगले दिन पूरा शहर अखबार देख रहा था और मौसमी अपने अगले मिशन को।
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