पहले पढ़ाई, फिर शादी

 दीपाली की विदाई के महीना भर बाद ही रानी बुआजी ने रामेश्वर जी के कान भरने शुरु कर दिये कि राजेश्वर...., अब तो नैना भी सयानी हो गई है।कोई ढ़ंग का लड़का देखकर इसको भी ठिकाने लगा ही दो।कहीं ऊँच-नीच हो गई तो कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहोगे।रामेश्वर जी ने अपनी जीजी की बात का मान रखते हुए 'हाँ जीजी ' कह दिया।

    नैना ने सुना तो अपनी माँ पर बिफ़र पड़ी, बोली," माँ..,दीदी बीएड करके बच्चों को पढ़ाना चाहती थी।वो तो फ़ाॅर्म भी ले आई थीं लेकिन बुआजी बीच में टपक पड़ी।अच्छा रिश्ता है' का लालच देकर उन्होंने आपलोगों का ब्रेनवाॅश कर दिया और आपलोगों ने दीदी का विवाह कराके उनकी इच्छाओं पर पानी फेर दिया।लेकिन मैं अपने साथ ऐसा हर्गिज़ नहीँ होने दूँगी।"

 " शांत हो जा , तू जो चाहेगी, वही होगा.." माँ ने उसे शांत कर दिया।कुछ दिनों के बाद फिर से बुआजी एक लड़के की फोटो और उसका बायोडेटा लेकर पहुँच गईं।नैना भी उसी वक्त काॅलेज़ से वापस आई थी।उसे देखते ही बुआजी शुरु हो गई," अरी बचिया...,अब बाहर-भीतर करना छोड़...अपनी महतारी के साथ रसोई में कुछ पकाना सीख....कुछ दिनों में ससुराल जाएगी तो....।"

  " कौन ससुराल जा रहा है बुआजी।" हँसते हुए नेहा ने पूछा तो बुआजी तीखे स्वर में बोली," देख ले रामेश्वर...कैसी ज़बान चला रही है तेरी बेटी।आजतक हमारे खानदान में...।"

    तभी नैना की माँ दनदनाती हुई आई और बोली," बस कीजिये जीजी..बहुत हो गया।मेरी बेटियों की ज़िंदगी में टाँग अड़ाना बंद कर दीजिये।आपके खानदान में क्या हुआ और क्या नहीं...,इससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।मेरी बेटी पहले अपनी पढ़ाई पूरी करेगी, फिर शादी के बारे में सोचेगी।" कहकर वे रसोई में चली गई।बुआजी कब चुप रहती, बोली," रामेश्वर..देख अब तो...।"

   " बस जीजी...नैना की माँ ठीक ही कह रही है।आपकी बातों में आकर दीपाली के साथ तो हम अन्याय कर ही चुके हैं लेकिन अब नहीं।" कहते हुए उन्होंने बुआजी के आगे हाथ जोड़ लिये तो बुआजी ने भी अपना फोटो समेटकर वहाँ से खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझी।

                               विभा गुप्ता


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