यमुना ने अपने दोनों बच्चों छोटी और बबलू को खाना खिला कर सोने चली गई।बेटी छोटी को थोड़ी देर में प्यास लगी और वो रसोई में पानी लेने गई।
घड़े से पानी निकालते हुए उसकी नजर खाली पड़े बर्तनों पर गई।
उसने मन में सोचा मां हम दोनों भाई बहन को खाना खिलाने के बाद सोने चली गई ।इसका मतलब उसने सारा खाना हम दोनों को खिला दिया और खुद भूखी सो गई।
उसे बहुत अफसोस हुआ और चिंता भी हुई कि उसकी मां भूखी ही सो गई।उसने रसोई में राशन देखा ।अनाज का एक दाना भी नहीं था ।उसका दिल कचोट रहा आखिर उसने कैसे ध्यान नहीं दिया कि उसकी मां ने खाना नहीं खाया ।उसके पास पैसे भी नहीं है कि दुकान से राशन खरीदकर ले आए।
वो अपनी मां को भूखी सोने नहीं देना चाहती थी।लेकिन क्या करे।उसकी मां मजदूरी करती थी और वो खुद बगल के सेठ के घर में बर्तन धोने का काम करती थी ।छोटा भाई पढ़ने जाता था।
आज उसे तेज बुखार भी था इसलिए वो बर्तन धोने भी नहीं गई थी ।
उसकी मां कल मजदूरी करने जाएगी तभी पैसे मिलेंगे और घर में राशन आएगा।
कल सब लोग क्या खाएंगे।तभी उसने सोचा सेठ के यहां जाती हूं ।उनके घर के बर्तन धोकर आती है।उनके घर में जो बचा खाना होगा ले आऊंगी जिससे रात का खाना मां खा लेगी और सुबह का भी इंतजाम हो जायेगा।
उसने जाकर अपने छोटे भाई से कहा _ बबलू सुनो मैं सेठ जी के घर जा रही हूं।तुम मां के पास रहो । मां ने खाना नहीं खाया है।सब खाना उसने हम दोनों को खिला दिया है।घर में न खाना है न राशन है।
लेकिन दीदी आपको तो बुखार है कैसे काम कर पाओगी । चलो मैं भी साथ चलता हूं और तुम्हारी मदद कर दूंगा और खाना लेकर आयेंगे लेकिन मां को भूखा सोने नहीं देंगे।
छोटी ने बहुत मना किया लेकिन बबलू नहीं माना ।
थोड़ी देर में दोनों सेठ जी के घर पर चले गए।सेठानी ने छोटी को देखते हुई गुस्से से कहा _ अरे तुम आज बर्तन धोने नहीं आई ।सारा झूठा बर्तन पड़ा हुआ है।कल किसमें नाश्ता और खाना बनेगा ।छोटी से पहले बबलू ने कहा _ आंटी दीदी को बुखार था इसलिए दिन में नहीं आई।
इसलिए मैं भी साथ में आया हूं दीदी की मदद करने ।
ठीक है जाओ दोनों जल्दी बर्तन धो दो।
थोड़ी देर में दोनों ने सारे बर्तन धो दिए।सेठानी ने छोटी को बचा खुचा खाना दे दिया।
दोनों खुशी खुशी खाना लेकर अपने घर आ गए और अपनी भूखी मां को खाना दिया।खाना देख कर उसकी मां ने आश्चर्य से पूछा _अरे बेटी घर में खाना नहीं था फिर कहा से लाई।बबलू ने सारी बात अपनी मां को बताई।सुनकर उसकी मां के आंखों से आंसू निकल पड़े।उसने दोनों को अपने सीने से लगा लिया।
:समाप्त :
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
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