आस्तीन का साँप

 आज अग्रवाल साहब अपनी लड़की के रिश्ते के लिए जा रहे थे। सारी तैयारी कर ली गई। शगुन में देने के लिए गिन्नी भी रख ली।चाचा को भी साथ ले लिया गया।

देखने दिखाने का कार्यक्रम चल रहा था। गोद भरने की तैयारी हो रही थी। लेकिन तभी कुछ कानाफूसी सी होने लगती है और लड़के वाले रिश्ते से मना कर देते हैं।

सभी लोग उदास मन से घर लौट आते हैं। अग्रवाल साहब की बेटी मान्या के दिल पर गहरी चोट लगती है।

दबी जवान से सुनाई भी पड़ता है कि लड़की के चाचा ने चुगली की है।

पर अग्रवाल साहब सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करते। उन्हें अपने भाई पर पूरा भरोसा था।

कुछ दिन बाद सुबह-सुबह चाचा मिठाई का डिब्बा लेकर उनके घर आते हैं। मिठाई निकालते हुए कहते हैं, "भाभी मुंह मीठा कीजिए। आप की भतीजी सौम्या का रिश्ता तय हो गया है।"

मान्या की मम्मी बधाई देते हुए पूछती हैं,"अच्छा भाई साहब बढ़िया है। कहाँ से हुआ रिश्ता?"

चाचा दांत निपोरते हुए कहते हैं,"भाभी जो मान्या के लिए लड़का देखा था ना। वह लड़का लंबा था। सौम्या की लंबाई भी अधिक है। मुझे तभी वह लड़का बहुत जम गया था।

कोई बात नहीं भाभी, मान्या के लिए और अच्छा घर ढूंढ लेंगे।"

मान्या की मम्मी उनकी बात सुनकर सोचने लगी #आस्तीन का साँप घर पर ही था।

जिसको पालकर उन्होंने अपने घर की खुशियों में ही आग लगा ली ।

स्वरचित मौलिक

प्राची लेखिका

बुलंदशहर उत्तर प्रदेश


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