मां तूने खाना खाया ...!!

 हां बेटा बहुत जोरो की भूख लगी थी तो मैंने खा लिया मां ने हंसकर कहा और डेगची का पूरा चावल मेरी थाली मे उड़ेल दिया था।

रोज वह पूछता था रोज मां यही जवाब दे देती थी पता नहीं उसके बोलने का तरीका ही ऐसा रहता था कि अविश्वास करने वाली कोई बात कभी मुझे महसूस ही नही हुई....

एक दिन मां चक्कर खा कर गिर पड़ी जल्दी से वह उसे लेकर डॉक्टर के पास गया ।

डॉक्टर ने बताया रोज रोज भूखी रहने के कारण कमजोरी आ गई है।

उसकी समझ में आया कि मैंने खाना खा लिया है बोल कर  मां  बचपन से रोज उसे गच्चा देती रही ताकि वह निश्चिंत होकर पेट भर कर खाना खा सके।

डॉक्टर के यहां से आने के बाद मैं मां से बहुत नाराज था तो कहने लगी अरे पगले मुआ ये डॉक्टर झूठ बोलता है इसे डॉक्टर किसने बना दिया और हंसने लगी थी।

पिताजी के जाने के बाद से वह फेरी लगाने का काम करने लगी थी  एक ही वक्त का खाना बड़ी मुश्किल से मिल पाता था उसे भी मां मुझे खिला देती थी और मैं रोज गच्चा खाता रहा।

ध्यान से सोचता हूं तो समझ आता है कि इसी बात पर ही नहीं ना जाने कितनी और बातों पर कितने और  मौकों पर मैं हमेशा उससे गच्चा खाता रहा

तब जब वह पिताजी की याद में रात रात भर रोती रहती थी  और सुबह मेरे पूछने पर मुस्कुरा कर बोल उठती जाने मुआ कौन कीड़ा आंख में चला गया था परेशान कर डाला लाल हो गई आंखें

या फिर तब जब साड़ी बेचने फेरी वाले के आने पर  मोहल्ले की महिलाएं लपक आतीं तब वह घर का दरवाजा बंद कर बोल उठती मेरे पास तो दर्जनों साडीया नई की नई रखी हैं मुझसे ही कोई खरीद ले जाए।

या फिर तब जब मुझे पढ़ने के लिए बाहर भेजते समय मुझे दुखी देख मुंह बना कर बोल पड़ती अरे जा घर के बाहर निकल कब तक मेरी खोपड़ी खाता रहेगा परेशान हो गई मैं तो तुझे संभालते संभालते

या फिर तब जब राधा काकी के गोरे चिट्टे सुंदर बेटे के आते ही मुझे अपनी काली रंगत और बदशक्ली पर मुंह छुपाते देखती तो जोरों से कह उठती आ मेरा चांद सा बेटा... राजकुमार है पूरा मेरा लल्ला....आ तेरी नजर उतार दूं तब मैं सच में अपने आपको कहीं का बांका राजकुमार ही समझने लगता था।

एक नही अनगिनत पल जीवंत हो उठे हर बार मैं मां से गच्चा खाता रहा।समय बदलता है बदल  गया।

मुझे विदेश जाने का मौका मिल रहा था  ....लाख सर पटकने पर भी मां मेरे साथ नहीं गई "मुझे यहीं अच्छा लगता है  मैं तो हमेशा तेरे साथ ही रहती हूं बेटा उसके जवाब हमेशा की तरह तैयार थे।मैं पत्नी सहित विदेश चला गया था।

आज उससे बाते करके लगा मुझसे कुछ छिपा रही थी बेबात ही हंस रही थी ...!

बहुत गच्चा खा चुका अबकी मेरी बारी है मैने ठान लिया था उसके पास आने और साथ ले जाने का कार्यक्रम बना कर बता दिया मां बहुत गच्चा खा चुका तेरी बातों से अबकी कुछ नही सुनूंगा तैयारी कर लेना इस बार मेरे ही साथ चलना है तुझे।

मेरी बात सुन परेशान हो गई थी  कह उठी नही बेटा मैं बहुत बढ़िया हूं अकेले की जिंदगी कट रही है मजे में तू मेरी फिक्र ना कर अपना घर परिवार देख सबका ध्यान रख बहुत बड़ी जिम्मेदारी है तुझ पर यहां आने की कोई जरूरत ही नही है.....बड़ी मेहनत से तो अब तेरी जिंदगी में सुख के दिन आए हैं मेरी चिंता में बर्बाद मत कर...मैं यहां बहुत सुख से हूं...!!मैने उसकी बात अनसुनी कर दी थी फिर फोन ही नही किया।

उससे मिलने की अपने साथ लाने की उमंग तरंग में मगन हो गया चुपचाप पहुंच कर उसे गच्चा देना चाहता था।

सुबह सुबह ही पहुंच गया था मैं उतावली में पैर मानो बढ़ ही नही रहे थे दिल ऊंचे आसमान में उड़ चला था।

मां मां अब देखता हूं तू मेरे साथ कैसे नही जायेगी देख मैं  आ गया तेरी खोपड़ी पर !

कहां है मां बार बार पुकारने पर भी मां की उल्लास भरी आवाज नही सुनाई पड़ी तो तेज कदमों से सन्नाटे दार घर जो अब जीर्ण शीर्ण हो चुका था मैं घुसता चला गया देख कर अवाक रह गया था जैसे कोई कंकाल पड़ा हो बिस्तर पर .......!

मां अंतिम सांसे गिन रही थी

बेटा तेरे जाने के बाद से तो मानो इसकी आत्मा ही चली गई थी...खाना पीना सब छूट गया ....चार माह से बिस्तर पकड़ी हैं पर तुझे कुछ भी बताने से मना कर रखी थीं कि मेरे कारण परेशान हो जायेगा राधा काकी आंसू भरी आंखों से कह रहीं थीं।

मां एक बार फिर से मैं तुझसे गच्चा खा गया  मैं उसकी चारपाई के पैताने घुटने के बल बैठ सिसक उठा और वह फिर से पगले बोल कर मुस्कुरा उठी थी।

#गच्चा खाना

लतिका श्रीवास्तव


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