डॉo रजनी अपने केबिन में बैठी हुई थी कि उनसे मिलने के लिए किसी लड़की ने अनुमति मांगी । गेंहुआ रंग ,तीखे नैन नक्श पतली दुबली सी दिखने वाली लडकी का नाम सौम्या था , दिखने में आकर्षक थी,जब उन्होंने उसके आने का कारण पूछा,तो सौम्या पहले तो थोड़ा झिझकी फिर चेहरे पर आत्म विश्वास लाते हुए बोली, मैम मुझे आपकी सहायता चाहिए, मैं गर्ल्स हॉस्टल में रहती हूं,मेरा घर गांव मे है,हॉस्टल से कॉलेज आने के रास्ते में कुछ लड़के मेरे और मेरी सहेलियों के ऊपर भद्दी टिपण्णीया करते हैं और धीरे धीरे उनका साहस बढ़ता जा रहा है। यह सब सुनकर डॉo रजनी ने तल्खी से कहा, इस बारे में मै तुम्हारी क्या सहायता कर सकती हूं,ये समस्या तो तुम्हारी और तुम्हारे घर वालों की है। अब सौम्या के चेहरे पर निडरता के भाव थे,उसने कहा ,क्यों मैम, लड़के के घरवालों का कोई वास्ता नहीं है,अब चौंकने की बारी डाo रजनी की थी, क्या मतलब है तुम्हारा?? सौम्या ने दृढ़ता से कहा , जी हां , मैम उन लड़को का नेता आपका बेटा ही है,आप और आपके पति तो सुबह से शाम तक इस अस्पताल के अंदर पैसा कमाने में व्यस्त रहते हैं इसलिये आपके पास ये जानने के लिए फुर्सत ही नहीं है कि आपका बेटा दिनभर क्या कर रहा है। सौम्या बोली,मै चाहती तो पुलिस कम्पलेंट कर सकती थी,पर उस समय आप जैसे तथाकथित बडे़ लोग अपने आपको सभ्य और शालीन समाज का हिस्सा बता कर लड़कियों के आचरण और वस्त्रों पर उलटी सीधी टिपण्णी करते हैं। मै आपको आगाह करना चाहती थी कि अभी भी वक्त है,अपने बेटे को सुधार लीजिए,नहीं तो ऐसे बिगड़े हुए शहजादों को सुधारना हम लड़कियों को खूब आता है, ऐसा कहकर सौम्या उनके केबिन से उठकर चली गई और वह उस निडर और साहसी लड़की को जाते हुए देखती रह गई।
----- रितु दादू
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