खुशबू के ऑफिस मेट राघव ने जब आज अचानक खुशबू के सामने मैरिज प्रपोजल रखा तो खुशबू एकदम हड़बड़ा गयी और “राघव मुझे सोचने का वक़्त दो” कहकर ऑफिस से जल्दी घर आ गयी ….दरअसल उसके सहकर्मी राघव की पत्नी पिछले साल एक बच्ची को जन्म देते समय परलोक सिधार गयी
इधर खुशबू भी अपने बूढ़े सास ससुर के साथ अकेली ही रहती थी उसके पति का भी बाइक एक्सीडेंट में तीन साल पहले निधन हो गया था ……
सास ससुर के बहुत चाहने पर भी वो उन्हें इस तरह अकेले छोड़कर दूसरी शादी के लिए राजी नही हुई थी । पर आज जब लंच के समय राघव ने अपनी तरफ से उसे शादी के लिए कहा ” कि तुम भी अकेली हो और में भी अपनी बच्ची को अकेले सम्भाल नही पा रहा तो क्यों न हम मिलकर एक नया जीवन शुरू करें “।……तो खुशबू ने बहुत विचार किया वो जानती थी कि सास ससुर भी यही चाहते है कि उसका घर एक बार फिर से बस जाए ।अचानक….. एक फैसला लेकर वो सो गई।
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सुबह आफिस में राघव की नजरें जैसे उसके जवाब का इंतज़ार कर रही थी पर खुशबू ने उसे कहा कि वो शाम को घर चले…. मेरे घरवालो के सामने ही वो जवाब देगी।…..शाम को राघव जब खुशबू के साथ घर पहुंचा तो खुशबू ने अपने ससुर जी को कहा “पापा जी ये राघव है मेरे आफिस में मेरे साथ काम करते है इनकी पत्नी नही रही और एक बच्ची है ये मुझसे शादी करना चाहते है ।….ससुर जी एकदम से बोले अरे, बेटा इससे खुशी की और क्या बात होगी हमारे जीते जी तुम्हारा घर बस जाए हम तो आज है कल नही”
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“नही पिता जी मैं आपके सामने राघव से शादी के लिए तभी हाँ करूँगी अगर शादी के बाद आप भी हमारे साथ ही रहेंगे हम दोनों मिलजुलकर अपनी अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे ।आपको इस बुढ़ापे में मैं अकेला नही छोड़ सकती।…और दूसरी बात राघव की बेटी ही हमारी एकमात्र औलाद होगी ।….दूसरा बच्चा हो और मैं कल को कोई भेदभाव करूं ये मुझसे न होगा “।….”अब राघव को जवाब देना है कि क्या अब भी वो मुझे अपनाना चाहेगा” ।
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और राघव हैरानी से खुशबू को देखकर सोच रहा था मैं कितना खुशकिस्मत हूँ जो इतनी समझदार जीवनसंगिनी मिल रही है । …..राघव ने झुक कर सास ससुर जी के पैर छुए और खुशबू का हाथ थाम कर बोला…………..”धन्यवाद कह कर तुम्हारे जज्बातों का अनादर नही करूँगा खुशबू , मैंने तुम्हें चुनकर कोई गलती नही की “…..तभी सासु मां प्लेट में गुड़ रखकर ले आई और प्यार से खुशबू को गले लगाकर बोली.. … …..” पगली , चलो अब सब का मुंह मीठा करवाओ पहले से बता देती तो मिठाई मंगवा लेते”
ससुर जी ने प्यार से बहू के सिर पर हाथ फेरा……….”.बेटी, सुखी रहो , तुझ जैसी बेटी का हर फैसला मुझे मंजूर है “।
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