हाय रे किस्मत

 बात बहुत पुरानी है, हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता था, अंकल आँटी और उनके दो बच्चे. वे लोग बिहार के रहने वाले थे, उनके साथ उनका एक भतीजा भी रहता था, लगभग 20-22 साल का. किसी कंपनी में काम करता था. उसकी शादी गाँव में तय कर दी गई थी. उस जमाने में लड़का-लड़की एक दूसरे को नहीं देखते थे, बस घरवाले ही देखकर शादी तय कर देते थे अंकल का भतीजा दिखने में बहुत स्मार्ट था, एकदम हीरो की तरह. उसने कहा- मैं लड़की देखे बिना शादी नहीं करूंगा|  उसके मामा ने उसे बहुत कहा कि लड़का स्वयं लड़की देखने नहीं जाता लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा तो मामा ने कहा ठीक है, लड़की दिखा देंगे लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए अगले दिन दोनों मामा भांजे लड़की के गांव पहुंचे तो गांव के रास्ते में एक कुएं पर तीन चार लड़कियां पानी भर रही थी मामा ने दूर से उन लड़कियों में से एक लड़की की तरफ उंगली के इशारे से कहा| इसी लड़की के साथ तुम्हारी शादी होनी है दूरी ज्यादा होने से स्पष्ट तौर से भांजा ठीक से समझ नहीं पाया कि कौन सी लड़की है लेकिन उन लड़कियों से जो लड़की बहुत खूबसूरत थी थी उसने सोचा यही होगी जिससे मेरी शादी होनी है उसने मामा से कहा मामा लड़की तो बहुत सुंदर है दोनों मामा भांजे लड़की देख कर वापस आ गए पर पता नहीं कैसे लड़की को इस बारे में पता चल गया था कि लड़का खुद लड़की देखने आया है खैर तय समय पर बारात लड़की के घर पहुंची तो बारातियों को जनवा से मैं ठहराया गया वहां उनको चाय नाश्ता दिया जा रहा था कुछ लड़कियां शरबत का गिलास मेहमानों को दे रही थी भांजे ने देखा कि उन लड़कियों में वह लड़की भी थी जिसे उसने देखा था उसका दिल बैठा जा रहा था वह सोच रहा था कि यह यहां शरबत बांट रही है तो मेरी शादी किससे हो रही है उसने अपने आप को तसल्ली देते हुए कहा कि हो सकता है यह उस की जुड़वा बहन होगी शादी की रस्में होने लगी जब सिंदूर भरने की बारी आई तब लड़की का घूंघट उठाया गया तो उसका कलेजा मुंह को आ गया उसने देखा कि वह सांवली रंगत की साधारण नैन नक्श वाली थी लेकिन अब कर भी क्या सकता था उसने भारी मन से सारी रस्में पूरी की सुहागरात के लिए उसकी भाभियों ने छेड़ा तो कहने लगा मेरा मन कमरे में जाने का नहीं हो रहा क्योंकि यह सब बातें कमरे के दरवाजे पर हो रही थी इतने में दुल्हन ने दरवाजा खोला और हाथ पकड़ कर बोली आओगे कैसे नहीं शादी के पहले ही तो देखा था अब यह नखरे किस लिए ये  सुनकर सब अवाक रह गए|

स्वरचित - मधुलता सिंह


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ