बुढ़ापे की कशिश

 पार्क के बेंच पर  बैठे हुए रोज देखता उन्हें ,  एक सभ्य शालीन महिला ,जो अपने आप में सिमटी रहती। मैं भी रोज पार्क में शाम का भ्रमण करने जाता रहता तो उसी बेंच पर बैठी मिलती । न जाने किन ख्यालों में तल्लीन रहती लेकिन दिखने में संभ्रांत परिवार की लगती है। मेरे मन में जिज्ञासा हुई कि पूछ ही लेता हूँ ।

नमस्कार जी कैसी है , कहाँ रहती हैंआप?  पहली बार आपको  देखा है  यहाँ इस पार्क में।

मैं यहीं रहता हूँ  इसअपार्टमेंट के पार्क में टहलने आता हूँ इसलिए आठ दिन से  आपकी उपस्थिती दिख रही है । जी ठीक कह रहे आप ,हमलोग नए  आए हैं इस अपार्टमेंट में नया फ्लैट है हमारा ।एक महीने  पहले ही शिफ्ट हुए हैं,  हमारे परिवार में बेटा- बहू है एक पोता है । बेटा बहू नौकरी करते हैं ,पर  घर में  मेरा मन नहीं लगता? बेटा बहू और पोता अपने अपने मोबाइल में व्यस्त हो जाते हैं तो मैं भी यहाँ पार्क में चली आती हूँ ।बातचीत के दौरान पता चला कि पिछले बरस ही इनके पति का देहांत हो चुका है ।गाँव में काफी बड़ा मकान है खेत हैं परंतु इनका बेटा अपनी माँ को ले आया है अपने पास । फिरभी उन्हें देख ऐसा लगता कि कुछ न कुछ तो है जो  मन में भारी  है जिसे वो छुपाती हैं ?

खैर, हमें क्या ! रोज अपना वॉक करता और चल देता अपने घर, हालाँकि तन्हा ही था मैं ।मेरी भी श्रीमतिजी भगवान को प्यारी हो चुकी थीं । अपने-आप को व्यस्त रखता , इसलिए बुढ़ापा आनंदमय बीता जा रहा था । मैं ठहरा सरकारी अफसर,  पेंशन भी बहुत मिलता । एक ही बेटा है जो बंबई में जॉब कर रहा है  और बहू भी । दो पोती भी हैं जो हर दिन वीडियो काॅल पर 'दादू दादू "कहतीं तो मन प्रसन्नचित्त हो जाया करता । बस खुशगवार खुशहाल जीवन जी रहा ।

एक दिन मिसेज सिन्हा के चेहरे पे गहरी उदासी दिखी है, मैं भी सशंकित हो गया कि क्या बात है ?पूछ बैठा मैं , मिसेज सिन्हा को बेटा बहू ने कुछ कहा क्या ?

हेलो मिसेज सिन्हा ! कैसी हैं आप ? मेरा स्वर सुनते ही हड़बड़ा जाती हैं , अरे क्या हुआ? जी सुबह सुबह बेटा से बोली कि मुझे गाँव जाना है पर वह जाने नहीं देता । कहता है कि तुम चली जाओगी तो शशांक का ख्याल कौन रखेगा? मैंने कहा उससे कि आया रख लो , बहू बोल रही है कि आपको  बैठा कर खिलाते पिलाते रहे हम ! आया रखकर आपको भी खिलाएं और आया को भी। आप ही बताईये कि कोई बेटा बहू अपनी माँ को इस तरह से जलील करता है ? वहाँ गाँव पर बहुत सारी बनिहारिन/ कामवाली आसानी से उपलब्ध  हो जाया करता है , खेती की मालगुजारी से अच्छी खासी रकम मिलती है । यहाँ पर एक एक पैसा के लिए तरस गई हूँ जो पैसा गाँव से लेकर आई थी वो भी बेटा खर्च के नाम पर ऐंठ चुका है। अब जाने नहीं देना चाहता है मेरा बेटा ?

ओह ! यह सुनकर मेरा मन खिन्न हो गया है । ऐसा करिए आप मुझसे पैसा लेकर आपके गाँव जानेवाली ट्रेन की टिकट कटवा लीजिए। या मैं भी आपका टिकट ऑनलाइन कटवा दे सकता हूँ । मेरी ढाढस भरी बातों ने रामाबाण का काम किया है उनके लिए।

सच में मालवीय जी ! आप मेरा टिकट कटवा दे सकते हैं कहते हुए उनकी आँखें खुशी से चमक उठी हैं । जी बिल्कुल !

मैंने उनके गाँव जाने का टिकट कटवा कर बंदोबस्त कर दिया है । वो जाते जाते मेरा मोबाइल नंबर मांग ली हैं। घर जाने के उपक्रम में खड़ी हो कहती हैं,अगले बार आती हूँ यहाँ, तो आपके टिकट के पैसे वापस करूँगी ।

औपचारिक न बनें आप । आपकी जगह मैं होता तो क्या मेरी मदद नहीं करतीं, आप मेरी दोस्त बन चुकी हैं।हमदोनों ही हमउम्र हैं एक ही कश्ती पे सवार हैं ।

मिसेज सिन्हा , थोड़ी देर रूकिए न ! एक बात कहनी थीं आपसे , जी कहिए न ।

हमदोनों ही नितांत अकेलापन झेल रहे हैं । हमारे बेटे बहू  तो हैं पर वो अपनी दुनिया में मग्न हैं हमारी खुशी व इच्छा से सरोकार नहीं है उन्हें ? एक बाप चार पुत्र को पाल लेगा किंतु एक पिता को चार बेटा मिलकर भी नहीं खिला सकता।

मेरा बेटा फोन पर बुलाता रहता है , पर मैं हमेशा टाल जाता हूँ यह कहकर कि यहाँ मजे में हूँ सब कुछ मेरा सेट है ।समय पर उठना , पूजा पाठ, योगासन और शाम का वॉक । अपने मन का मालिक हूँ मैं , बेटा के यहाँ  जाकर उनलोगों की मर्जी पर चल नहीं पाऊंगा , इससे अच्छा है कि मान सम्मान के साथ अपने घरौंदे में बसा रहूँ। आप भी अपने गांव से वापस नहीं आना , स्वाभिमान के साथ वहीं पर रहना आप ।

हमारी व्यथा कोई भी समझना नहीं चाहता ?

खैर , कल आप जा रही हैं इसलिए आप एक वचन दीजिए कि जब तक हम दोनों में सांस जिंदा है तब तक हमारी मित्रभाव बनी रहेगी ।हमारे बीच  प्यारा सा नवीन रिश्ता बन चुका है जिसे हम अंतप्रज्ञा कह सकते हैं। यह हमारी दोस्ती का आगाज है मिसेज सिन्हा ।

गाँव पहुंच कर फोन करते रहिएगा , मैं भी बात करता रहूंगा आपसे । मेरी बात सुनकर मिसेज सिन्हा के उदास मुखड़े पर मीठी सी मुस्कान तैर गई है ।

रोज मुझसे फोन बात करती हैं , मैं भी। दोनों की भावना का अंतप्रज्ञा है जो हमारे जीवन में जान फूंक रहा है ।

-अंजु ओझा


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