"क्या बात है तनु!. तुमने अब तक खाना नहीं खाया,. चलो जल्दी से खाना खा लो!. आज डॉक्टर से तुम्हारी डाइट के विषय में सलाह लेने भी तो जाना है।"
अभी कुछ दिनों पहले ही नई-नई मांँ बनी अपनी पत्नी की सेहत के प्रति फिक्रमंद राजीव ने खाने का प्लेट अपने हाथों में ले रोटी का पहला निवाला तोड़कर तनु को खिलाना चाहा लेकिन तनु ने मना कर दिया..
"मैं ठीक हूंँ!. इतना सब कुछ करने की कोई जरूरत नहीं,.मैं दुनिया की वो पहली औरत तो हूँ नहीं,.जो मांँ बनी है!"
तनु की नाराजगी समझ राजीव उसे मनाने की फिर भी भरसक कोशिश करता रहा..
"समझने की कोशिश करो तनु!. इसमें नाराज होने वाली कौन सी बात है अगर माँ ने कुछ कह दिया तो कुछ सोच समझकर ही कहा होगा।"
"हर बात पर रोक-टोक करना और कुछ सोच समझकर कहने में बहुत अंतर होता है राजीव!.मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता।"
इतना कहते-कहते तनु की आंखें गीली हो आई।
असल में जब से तनु मांँ बनी थी और घर में एक नन्हा मेहमान आया था तभी से तनु की सास सरला जी का तनु के खान-पान के प्रति रोक-टोक का सिलसिला चल पड़ा था।
सरला जी तनु को उसकी पसंद के हर चीज को खाने से यह कहते हुए भी रोक देती थी कि प्रसव के बाद औरत को यह सब नहीं खाना चाहिए वरना बच्चे की सेहत पर असर पड़ता है। लेकिन आज तो हद हो गई..
सरला जी ने तनु को यह कहते हुए सुबह की चाय पीने से रोक दिया कि,.
"खाली पेट चाय पीने की वजह से बच्चे के पेट में गैस हो जाता है!"
तनु कुछ कह नहीं पाई लेकिन चाय की प्याली धीरे से बिस्तर के नीचे सरका कर करवट बदल लेट गई थी और तब से यूं ही पड़ी थी बिना कुछ खाए-पिए!
सुबह से दोपहर होने को आया था लेकिन तनु अपने कमरे से एक बार भी बाहर नहीं आई थी।
यह देखकर तनु के ससुर जी यानी सरला जी के पति अवध किशोर जी को कुछ सहज नहीं लगा और वह अपनी पत्नी सरला जी से पूछ बैठे..
"बहू की तबीयत तो ठीक है ना?"
"उसकी तबीयत को क्या होना है!. उसकी हरकतों की वजह से तबीयत तो बच्चे की खराब हुई रहती है।"
"बहू अभी तक अपने कमरे से एक बार भी बाहर नहीं आई इसलिए मैंने पूछ लिया।"
अवध किशोर जी मुस्कुराए लेकिन सरला जी सुबह वाली कहानी बताने लगी..
"आज मैंने सुबह-सुबह बहू को चाय पीने से मना कर दिया तो महारानी सुबह से ही कोप भवन में पड़ी है।"
सरला जी के तेवर देख तनु के ससुर जी हैरान हुए..
"यह कैसी बातें कर रही हो सरला?"
"सही ही तो कह रही हूंँ!. बहू को अपने जीभ के स्वाद के आगे बच्चे की तनिक भी फिक्र नहीं है,.जो मैं मना करती हूंँ वही वह खाती-पीती है।"
सरला जी ने समस्या की जड़ बताई लेकिन अपनी पत्नी की बात सुनकर अवध किशोर जी ने भी अपना अनुभव साझा किया..
"नई मांँ के खानपान में परहेज करवाना तो एक सास के लिए अच्छी बात है सरला!. लेकिन एक नई मांँ को सेहतमंद रहने के लिए अपने खानपान में क्या शामिल करना चाहिए यह बताना भी एक समझदार सास का ही काम है!. शायद यह बात तुम भूल गई हो।"
अवध किशोर जी की बात सुनकर सरला जी चौंक गई..
"मैं कुछ समझी नहीं?"
सरला जी के चेहरे पर हैरानी देख अवध किशोर जी उन्हें आगे बताने लगे..
"याद है सरला!. जब हमारे बेटे राजीव का जन्म हुआ था तुम्हारी भी यही शिकायत रहती थी कि मेरी अम्मा तुम्हें तुम्हारी पसंद का कुछ भी खाने-पीने नहीं देती हैं,. और एक नई मांँ को क्या खाना चाहिए यह भी अम्मा जी कभी नहीं बताती हैं।"
अपने पति की बात सुनकर सरला जी गहरी सोच में डूब गई।
सरला जी को अचानक अपने वह कठिन दिन याद हो आए जब उनकी सास उन्हें प्रसव के बाद उनसे ढेरों परहेज करवाती लेकिन यह कभी नहीं बताती थी कि आखिर नई मांँ को सेहतमंद रहने के लिए अपने खानपान में किन चीजों को शामिल करना चाहिए।
"क्या सोच रही हो सरला?"
अपनी पत्नी को गहरी सोच में देख अवध किशोर जी ने टोक दिया और पति की ओर देखती सरला जी उठ खड़ी हुई..
"सोचना क्या है जी!.आप बाजार से शुद्ध देसी घी और कुछ मेवे ले आइए,.मैं बहू के लिए मलाई डालकर हल्दी वाला दूध तैयार कर देती हूंँ!.बेचारी ने सुबह से कुछ नहीं खाया है।"
अवध किशोर जी और सरला जी के बीच अभी बातों का सिलसिला चल ही रहा था कि तभी राजीव अपनी पत्नी तनु को अपने हाथों से खाना खिलाकर कमरे से बाहर आ पहुंचा।
अपनी माँ सरला जी की बात सुनकर उनके प्रति उसके मन में सम्मान दुगना हो गया लेकिन सरला जी बिना और देर किए अपनी भूल को सुधारने के लिए रसोई की ओर चल पड़ी।
-पुष्पा कुमारी "पुष्प"
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