पलट वार

 भाई किशन, तुम्ही बताओ ये तो बैठे बैठे मुसीबत आ गयी। एक बार को पांच हजार रुपये दे भी दूँ,  पर इससे तो हम चोर भी तो साबित हो जायेंगे ना।

     हाँ, ये बात तो है मामराज।पैसे के पैसे दोगे और चोर भी कहलाओगे।

     तो दादा बताओ ना क्या करूँ,आपने तो घाट घाट का पानी पीया है,मुझे इस मुसीबत से निकालो दादा।

        झारखंड के बोकारो में मामराज का प्रोविजन स्टोर था।जिस पर मामराज या उसका छोटा भाई योगेश बैठते थे। हुआ यूं एक दिन योगेश दुकान पर बैठा था,तभी एक होलसेलर दुकान का नौकर अपनी सायकल बाहर खड़ी कर वहां बीड़ी पीते पीते योगेश से बतियाने लगा।बीड़ी खत्म होने पर वह चला गया।कुछ देर बाद ही योगेश के बड़े भाई मामराज को होलसेलर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बुलाकर कहा कि मामराज तुम्हारे भाई योगेश ने नौकर की साइकल पर टंगे थैले से पांच हजार रुपये पार कर लिये है।अब मामराज यह तुम पर है कि रुपये वापस कर दो अन्यथा पुलिस का सामना करो।हतप्रभ सा मामराज अपमानित महसूस कर वापस आ अपने भाई योगेश पर भड़क गया,अरे कमबख्त तुझे क्या कमी पड़ी थी,जो तूने ऐसी जलालत का काम कर डाला,अब किस मुँह से बोकारो में रह पायेंगे।योगेश भी यह आरोप सुन भौचक्का रह गया,उसने भाई के पावँ पकड़ कर कहा भाई कभी ऐसा काम सपने में भी किया हो तो अभी जान दे दूंगा।भाई नौकर बीड़ी पीने आया तो था,पर मैं तो दुकान से उठा तक नही था।मामराज समझ गया कि हेराफेरी नौकर की है,पर अपनी निर्दोषिता सिद्ध कैसे की जाये, यह समझ नही आ रहा था।

     अगले दिन फिर मामराज का बुलावा आ गया,सहमता सा मामराज पंचायत में गया तो उसे बताया गया कि 5000 रुपये योगेश ने ही चुराये हैं, उसका पक्का सबूत अब उनके पास है।पंचायत के मुखिया हरबंश ने जेब से एक पर्चा निकाला, जिस पर सिंदूर से योगेश का नाम लिखा था।हरबंश ने बताया कि आसनसोल के पास गांव में एक तांत्रिक ने चोर का नाम योगेश लिखकर दिया है,सो अब योगेश ने ही रुपये चुराये है ये पक्का हो गया है।तुम्ही बताओ तांत्रिक योगेश को क्या जाने भला?इस बात का कोई उत्तर मामराज के पास नही था।इसी उलझन को मामराज ने अपने शुभचिंतक और होल सेलर किशन के सामने रखी।तांत्रिक के यहां से पर्चे पर योगेश का नाम लिखा आना योगेश को सबकी निगाहों में चोर साबित कर रहा था।

      किशन चूंकि काफी अनुभवी था,सो उसने मामराज को योजना समझा दी।अगले दिन मामराज ने अपनी दुकान से रात्रि में दस हजार रुपये की चोरी की खबर फैला दी।किशन मामराज को लेकर उसी आसनसोल वाले तांत्रिक के पास गया।उन्होंने तांत्रिक से अपने दस हजार रुपये चोरी की बात बता कर चोर का नाम बताने की गुहार की।तांत्रिक ने उनसे बात बात में पूछ लिया कि उनका शक किस पर है?किशन ने हरबंस मुखिया का नाम ऐसे ही ले दिया।फिर तांत्रिक ने पूजा पाठ की और पीपल के पेड़ का चक्कर लगाने को कहा,मामराज ने पीपल के पेड़ का चक्कर लगाया।तांत्रिक बोला देखो पेड़ की कोटर में कोई पर्चा है क्या?यदि है तो उस पर चोर का नाम लिखा होगा।पेड़ की कोटर से पर्चा निकल आया और उस पर सिंदूर से नाम लिखा था मुखिया हरबंस का।उस पर्चे को लेकर वे वापस बोकारो आ गये।

     अगले दिन पंचायत बुलाई गई मामराज द्वारा।पंचायत में उसने मुखिया हरबंस के हाथ मे पांच हजार रुपये रख कर कहा कि मेरा भाई योगेश तो अपने को कसूरवार नही मान रहा,पर जब तांत्रिक ने उसका नाम लिख दिया है और आप सब उसे चोर मान ही रहे हो तो मैं ये 5000रुपये पंचायत में रख रहा हूं।पूरी पंचायत अपने द्वारा किये इंसाफ से प्रसन्न थी।तभी मामराज बोला देखो जी मेरे यहाँ भी दस हजार की चोरी हुई है,यह सब जानते है,मैं भी उसी तांत्रिक के पास गया था,मुझे भी उसने चोर का नाम लिखा पर्चा दिया है।मेरी प्रार्थना है कि अब चोर से मेरे दस हजार रुपये भी दिलवा दिये जाये।मुखिया हरबंस उत्साह के साथ बोला हाँ-हां मामराज क्यो नही,पर्चा निकालो,चोर से तुम्हारे रुपये भी दिलवाये जायेंगे।मामराज ने जेब से पर्चा निकाल कर सबके सामने रख दिया।पर्चे पर नाम था मुखिया हरबंस का।हरबंस का चेहरा लाल हो गया, गुस्से से बोला क्या मैं चोर दीखता हूँ, मेरी हैसियत मामराज तुम्हारे जैसे 10 को खरीदने की है।मामराज बहुत ही शालीनता से बोले मुखिया जी,मैं आप जैसा रईस भले ही ना हूँ, आपके बाजार में दुकानदार तो हूं,पर आप लोगो ने तो एक नौकर का तो विश्वास करके तांत्रिक द्वारा हमे चोर ही सिद्ध कर दिया ना।अब आप पर पड़ी तो क्रोध क्यो?

       मामराज भावावेश में अपने आंसुओ को रोकने का असफल प्रयास करता हुआ बोला,भाइयो न तो मेरे भाई ने चोरी की है और न ही हरबंस जी ने।तांत्रिक पाखंडी है,यह सिद्ध करने को हमने यह प्रपंच किया था।आप अपने नौकर से तो पूछताछ करते,गड़बड़ उसकी है,तोहमत मेरे भाई पर लगाई जा रही है।

    तांत्रिक का भंडाफोड़ होते ही सबकी आंखे खुल चुकी थी।नौकर से कड़ी पूछताछ की गई,उसने कबूल किया कि रुपये उसी ने हजम किये थे,और तोहमत योगेश पर लगा दी थी।

   किशन के अनुभव ने मामराज की इज्जत आज बचा ली थी।

बालेश्वर गुप्ता, नोयडा


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