नितिका और वंदना कहने को दोनो देवरानी जेठानी , दोनो के स्वभाव मे भी जमीन आसमान का अंतर +जहाँ जेठानी वंदना शांत स्वभाव की चुप चुप रहने वाली वहीं देवरानी नितिका साफ दिल की पर मुंह फट जो महसूस करती बोल देती।) पर दोनो मे प्यार बहुत था वंदना की शादी को जहाँ सात साल हो गये थे वही नितिका की शादी अभी छह महीने पहले ही हुई थी। दोनो की सास विमला जी जो सास का मतलब ही हुकुम चलाना और बहुओ की बुराई करना समझती है। उनकी नज़र मे सब काम करने के बाद भी उनकी बहुएं कामचोर है।
वंदना ने नितिका का स्वागत इस घर मे खुले दिल से किया था और सात साल से सास की खरी खोटी सुन रही जेठानी देवरानी को इन सबसे बचाने का भरपूर प्रयास करती। शुरु मे सास के व्यवहार से अनभिज्ञ नितिका कुछ ना कुछ ऐसा कर जाती जो उसकी सास को नागवार गुजरता जैसे अपनी मर्जी से अपना कमरा सजाना , रसोई मे छोटे मोटे बदलाव करना ऐसे मे सास के गुस्से से बचाने को वंदना नितिका की ढाल बनती । और जब जब नितिका गुस्से मे कुछ बोलने को होती तो उसे समझा देती।
" बहू देखो तुम्हारी मामी सास आई है जल्दी से नाश्ता लगाओ !" एक दोपहर काम से निमट कर अपने कमरे मे आराम कर रही बहुओ को सास की आवाज आई और दोनो रसोई मे भागी।
" भाभी क्या बताऊं आपको मेरी दोनो बहुएँ इतनी कामचोर है ना कि कुछ करना ही नही चाहती सोचा था बहुएँ आएँगी तो मैं भजन कीर्तन मे मन लगाउंगी पर यहाँ तो इनका घर ही देखना पड़ रहा !" चाय नाश्ता लाती बहुओ को सास के शब्द सुनाई दिये ।
" सही कहा मम्मी जी हम बहुत कामचोर है इसीलिए तो सुबह पांच बजे से लेकर रात के दस बजे तक घर के कामो मे लगे रहते है । और आप बेचारी बुढ़ापे मे सब काम करती हो पर मम्मीजी एक बार अपने दिल पर हाथ रखकर बोलिये क्या सच मे आपकी बहुए कामचोर है । यदि हाँ तो आज के बाद हम लोग कामचोर ही बनकर दिखाएंगे ..क्यो दीदी ?" आज नितिका से नही रहा गया तो उसने भी सास को खरी खोटी सुना दी हालाँकि वंदना ने उसे रोकने का प्रयास किया पर आज पानी सिर से उपर चला गया था।
" अरे भाग्यवान कुछ तो शर्म कर बच्चियां दिन रात काम मे लगी रहती है और तू उनकी बुराई ही करती रहती है अगर वो कामचोर होती तो तुझे यूँ बैठ कर उनकी बुराई का वक्त ना मिलता । कल को वो सच मे कामचोर बन गई तो अपने साथ साथ मेरा भी बुढ़ापा खराब करेगी । इसलिए समय रहते सुधर जा !" अपने कमरे मे आराम करते विमला जी के पति भी आज बहुओ के हक मे बोल ही पड़े । अपनी भाभी के सामने शकुंतला जी की निगाह नीची हो गई।
अब आप ये मत समझियेगा शकुंतला जी एक खड़ूस सास से ममतामयी हो गई नही नही जो इतनी जल्दी सुधर जाये वो सास ही क्या पर हाँ उन्होंने अब लोगो के सामने बहुओ को कामचोर कह खरी खोटी सुनाना बंद कर दिया आखिर अपना बुढ़ापा थोड़ी खराब करना था उन्हे अगर सच मे बहुएं कामचोर बन जाती तो ।
दोस्तों ये कहानी सिर्फ कुछ सासों की है ( सभी सासों की नही ) जो शकुंतला जी जैसी खड़ूस है और बहुओ के सब कुछ करने के बाद भी उन्हे खरी खोटी सुनाती है। सब सास ऐसी नही होती वैसे भी सभी बहुए भी तो वंदना और नितिका जैसी नही होती जो सास की खरी खोटी सुन ले। पर सच्चाई यही है सास बहू आपस मे मिलकर रहे तो घर स्वर्ग बन जाता है और सास का ऐसा रवैया घर मे कलह ही लाता है।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
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