बिल

 "माधुरी, दूध का बिल इस बार इतना ज्यादा क्यो आया?" 


"देखो ये ग्वाला सही बोल रहा, क्या ?"


"अभी पैसे दे दो, फिर तुम्हे सब समझाती हूँ।"


"क्या करूँ, मैंने भी मना किया था, पर सासु जी नही मानी, स्वयं ही दूध वाले से ज्यादा ले रही हैं कि पापा जी के दांत में दर्द है, रोज दूध रोटी ही खाएंगे।"


सुबह मनन अपने पापा के कमरे में जाकर गुस्सा हो रहे थे, वैसे ही खर्च बढ़ रहा है, आपलोग अपना खाने का ढर्रा न बदलिए, जैसे अभीतक चल रहा था, चलने दीजिए।


 पापा गुस्सा पी गए, और सोच में पड़ गए। इसी बेटे के लिए मैं 40 साल पहले 2 किलोमीटर पैदल जाकर गाय का दूध लाता था ।


स्वरचित

भगवती सक्सेना

बेंगलुरु


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