घी का लड्डू टेढ़ा ही भला

 "समर आखिर क्या कमी है मेरे लाए रिश्ते में जो उसे ठुकराकर संजीत से अपनी बेटी अंकिता की शादी का इतना बड़ा निर्णय ले लिया। हैसियत में तो संजीत का परिवार विनीत के परिवार से उन्नीस ही है।" अभय ने क्रोधित होकर दोस्त समर से कहा।


"भले संजीत का परिवार विनीत से उन्नीस है पर गुणों में संजीत विनीत से भारी ही है। मुझे अपनी बेटी के लिए चरित्रवान लड़का चाहिए, चरित्रहीन नहीं अभय। वो तो अच्छा हुआ, समय पर पता चल गया, नहीं तो मेरी अंकिता की जिंदगी खराब हो जाती।"


"रईसों में छोटे-मोटे अवगुण तो होते ही हैं। उनको अनदेखा कर देना चाहिए दोस्त। घी का लड्डू टेढ़ा ही भला लगता है।" नरमी से अभय ने समर से कहा।


"शराब पीना, लड़कियों के साथ होटलों में जाना, झगड़ा करना क्या छोटे-मोटे अवगुण हैं ? अपनी काव्या का विवाह भी क्या ऐसे लड़के से करना चाहोगे? अभय की ओर देखते हुए समर ने कहा।


अभय लज्जित हो उठ खड़ा हुआ। उसका चेहरा काला पड़ चुका था।


अर्चना कोहली 'अर्चि' (नोएडा)


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