एक बार नैना के यहाँ दो तीन दिन तक रिश्तेदार रुके रहे वो, उसकी जेठानी की बेटी की शादी में आए थे उनका घर छोटा था इसलिए सोचा नेहा का घर बड़ा है सब सुविधा है ,गरम पानी है ,बाथरूम रुम वगैरह सब बडे़ है वही रुकते है नेहा ने कुछ नहीं कहा चलो दो ननद और उनकी बेटी दामाद ही है तो खाना वगैरह तो जेठानी के यहाँ ही होगा, चलो चला लेंगे, रोज उसका घर फैलता चाय नाश्ते में....
इनके कारण फंक्शन के लिए तैयार होने में लेट भी हो जाती....
वह सोचती चलो घर के ही लोग है....
सब लोग दिन भर फंक्शन अटैंड करते और आ जाते, आराम करते फिर तैयार होते फिर चले जाते फैलाकर..
नैना सबकी आवभगत ऐसे करती जैसे उसी के घर की शादी हो। जो रिश्तेदार उनके आता,रुकता उन्हें ऐसा लगता जैसे होटल में रुके हो। वो खाने की प्लेट , पैकेट, बाल, सब ऐसे ही कभी भी कहीं भी डाल देता। कभी लाइट चालू छोड़ देते कभी गीजर ....
नेहा को बहुत गुस्सा आता था। उसे गुस्सा तो तब बहुत आया ,जब उसने देखा कि पलंग के नीचे डायपर पड़ा है।
रोमी ने बेबी का पहना हुआ डायपर भी उसने पलंग के नीचे छोड़ दिया है । वह समझ गयी,तब उसने सोचा आज नहीं बोला तो कभी नहीं. ।फिर उसने अपने पति को बताया। उसके पति को खराब लगा। क्योंकि रोमी के बेटा ही छोटा था,उसने ही रखा है,फिर नेहा ने जेठानी के घर पर सबके सामने बोला , नेहा को डर नहीं था वे लोग बुरा न मान जाएगें । उसने सबके सामने कहा -" क्यों रोमी दीदी आप लोग कोई तरीका नहीं है, कि नहीं,एक बार का हो तो कोई न बोले आप लोग नाश्ते प्लेट टेबल पर छोड़ गयी और डायपर भी बच्चे का बेड के नीचे छोड़ दिया क्या यही तरीका है? तब वो बोली- अरे मामी सब जल्दी बुला रहे थे।
ऐसी भी क्या जल्दी कि नाश्ते की प्लेट न उठायी जाए न ही डायपर फेंका जाए! न ही लाइट फैन बंद किया जाए, पता है जब हम सफाई करने लगे त कितनी बदबू थी। और नाश्ते में मक्खी लग रही थी। तब उनकी मम्मी यानि नेहा की ननद को बहुत बुरा लगा। सबके सामने हमारी शादी शुदा लड़की की बेइज्जती कर दी। लेकिन रोमी को उसकी गलती समझ आ गयी थी। आज नेहा सामने से बोलकर संतुष्ट थी। जो बोला वो सही था। नहीं तो फिर अगले दिन यही परेशानी होती। तब उसके पति ने भी कहा- ठीक किया जो बोल दिया सांच को आंच नहीं।
रोमी और उसकी मम्मी कुछ दिनों तक बोली नहीं। फिर बाद में दूसरी ननद ने एहसास कराया, तब बोला कोई अपने घर में ऐसा करे तो क्या अच्छा लगेगा। नही न... तब उन्हें ये बात समझ आई।
फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने नेहा से अपने किए की गलती मानी।
स्वरचित रचना
अमिता कुचया
0 टिप्पणियाँ