स्नेहा ,जरा देख तो बेटा ,मीनू तैयार हुई या नहीं,बारात आने वाली है , सुमित्रा देवी व्यग्रता से बोली
मां जी आप चिंता न करो, मैं मीनू के कमरे से ही आ रही हुं,बस कुछ पल की ही देरी है।
नहीं बेटा, वह बारात के आने पर वे लोग मीनू को ही बुलाएंगे।
कोई बात नहीं, मां जी मैं स्वयं इस पर नजर रखे हूं, स्नेहा ने उत्तर दिया।
हां बहू तुम खुद सारा बंदोबस्त देखो, कहकर सुमित्रा देवी कह कर बाहर की तरफ चल दीं।
आज से दो महीने पहले ऐसा नहीं था, यही सुमित्रा देवी स्नेहा को बात बात पर ताने देने से बाज नहीं आती थी। बदले में स्नेहा भी कुछ न कुछ कह कर ही चुप होती। था यूं कि जब राजेश और स्नेहा की शादी हुई तो वह सुमित्रा देवी को यह रिश्ता पसंद नहीं आया। एक तो दोनों की लव मैरिज थी, दूसरे दोनों के स्टेटस मे बड़ा फर्क था। जहां राजेश एक मीडियम क्लास परिवार से था, साथ ही दो शादी लायक बहने भी थीं। उनके अनुसार भाई की लव मैरिज का असर दोनों बहनों की शादी पर पड़ेगा। साथ ही स्नेहा एक धनाढ्य परिवार से थी। उसके पिता एक बड़े गांव के ताल्लुकदार थे। पड़ोस के गांवो में भी उनका काफी नाम था। परिवार गांव का था पर उन्होंने अपने दोनों बच्चों को शहर में रह कर शिक्षा दिलाई थी। पहले तो अपने बराबर का परिवार ने मिल पाने से दुखी थे,पर बाद में बच्चों की खुशी को देखते हुए शादी कर दी। सुमित्रा देवी को बहू के अमीर घराने को देखते हुए हमेशा उससे नाराज़ रहतीं , स्वयं को उससे कम आंकना पड़ता। वह उसे बड़े घर की बेटी है तो क्या यही करेगी ,यह हमारा घर है, यहां ऐसा नहीं होगा कह कर उसे बात बात पर ताने देती। शहर में पली बढ़ी स्नेहा भी सुसराल के निर्देशो को , व उनके तानों को सह नहीं पाती व पलट कर जवाब दे देती। और दोनों में महाभारत छिड़ जाती। राजेश और राजेश के पिता दोनों को समझाते। पर घर का माहौल ज्यादातर तनाव पूर्ण ही रहता। दोनों बहनें भी स्नेहा को ही ग़लत मानती उन्हें लगता कि बड़े घर की बेटी होने के कारण ही उनका भाई उनसे छीन गया है । स्नेहा को वह किसी गिनती में नहीं रखतीं।
अभी ऐसे ही जिंदगी चल रही थी कि राजेश को नौकरी के सिलसिले में अमरीका जाना पड़ा। स्नेहा साथ जाना चाहती थी पर वीजा न होने पर जा नहीं सकती। राजेश के जाने के एक हफ्ते बाद का वाकया है कि राजेश के पिता आफिस से आ रहे थे कि ट्रक से उनके स्कूटर से एक्सीडेंट हो गया। जब पुलिस का फोन पहुंचा तब घर पर स्नेहा ही थी। सुमित्रा देवी व दोनों बहनें मौसी के घर गयी हुई थी। उनको फोन किया तो फोन बंद मिला। स्नेहा अकेली ही अस्पताल पहुंची। डाक्टर ने तुरंत आपरेशन करने को कहा। घबराकर उसने फैसला तो करवाने का लिया पर अकेली ही आपरेशन करवाया। खून देने की जरूरत पड़ी तो स्नेहा का ब्लड ग्रुप मेल खाने पर ब्लड भी दिया। और इन सबके बाद छोटी ननद का फोन मिला तो उन्हें सूचना दी।
सबके पहुंचने पर डाक्टर ने जब सबके सामने कहा कि स्नेहा नहीं होती तो इनका बचना मुश्किल था। तो अनायास ही सुमित्रा देवी की आंखें छलछला आईं तथा उन्होंने स्नेहा को गले से लगा लिया। तब स्नेहा ने हंसकर कहा मां जी आज, बड़े घर की बेटी तो नही कहेंगी। तब सुमित्रा देवी बोली बड़े घर की बेटी अब मेरी बेटी बन गई है। राजेश के पिता के घर आने पर सुमित्रा देवी स्नेहा को बड़े प्यार से रखा। दोनों बहनों ने भी उसे भाभी का मान दिया। आज बड़े घर की बेटी एक प्यारी सी बहु व भाभी बन गई।
*पूनम भटनागर ।
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